शीतला सप्तमी कब मनाई जाती है ?
Sheetala Saptami 2024 : शीतला सप्तमी 2024 हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महिने की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन शीतला सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन को शीतला माता को बासोड़ा का भोग लगाया जाता है। शीतला माता ठंडक प्रदान करने वाली देवी है। इस उत्सव को होली के बाद सातवें दिन मनाया जाता है। मौसम में बदलाव आने लगता है। हल्की ठंड भी खत्म होने लगती है और गीष्म ऋत का आगमन होता है।
Sheetala Saptami 2024 शुभ मुहूर्त:
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 31 मार्च, 2024 को 09:30 पी एम
सप्तमी तिथि समाप्त: 1 अप्रैल, 2024 को 09:09 पी एम
शीतला सप्तमी 2024 मनाने का शुभ मुहूर्त कब है?
शीतला सप्तमी मनाने का शुभ मुहूर्त : हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला सप्तमी तिथि की शुरुआत 31 मार्च से प्रारंभ हो जाएगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की शीतला सप्तमी 31 मार्च को रात 9.30 बजे से शुरू होगी।और समापन 1 अप्रैल को रात 9.09 बजे होगा। उदय तिथि के अनुसार शीतला सातम 1 अप्रैल को मनाई जाएगी। और माता शीतला को 1 अप्रैल को भोग लगाया जाएगा।
शीतला माता की पूजा विधि 2024
- शीतला माता शीतलता प्रदान करने वाली देवी मानी गई हैं। इसलिए सूर्य का तेज बढ़ने से पहले इनकी पूजा उत्तम मानी जाती है।
- पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें।
- दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें।
- दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा भी रस दें।
- अब शीतला माता की पूजा करें।
- माता को सभी सामग्री अर्पित करने के बाद खुद और घर से सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं।
- आटे के दीपक को बिना जलाए माता को अर्पित करें।
- अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाकर उसे घर के सभी सदस्यों को आंखों पर लगाने को दें
- ठंडे भोजन का भोग लगाएं और आप भी इस ठंडा भोजन ही खाएं।
शीतला सप्तमी के दिन क्या नहीं करें
- इस घर में चूल्ही नहीं जलाते हैं
- पुरे दिन माता को लगाया गया ठंडे भोजन को ही खाएं।
- पुजा करने के बाद घर में झाडू नहीं लगायें।
- शीतला माता की पूजा में अग्नि को किसी भी तरह से शामिल नहीं किया जाता है।
- माता शीतला की पूजा करते समय दीया, धूप या अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए।
शीतला सप्तमी का महत्व 2024
शीतला सप्तमी का व्रत करने से शीतला माता प्रसन्न होती है। माता को बासी खाने के प्रसाद का भोग लगाया जाता है। शीतला देवी को भोग लगाने वाले सभी भोजन को एक दिन पूर्व की बना लिया जाता है। दूसरे दिन शीतला माता को भोग लगाया जाता है। अगले दिन खाना नहीं बनाया जाता, सभी उसी खाने को ग्रहण करते हैं।