जोधपुर : जोधपुर रेंज पुलिस की गिरफ्त में एसओजी का वांछित दीपक और उसका मौसेरा भाई मनोहर। जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम ने AEN और वन रक्षक भर्ती परीक्षा मामले में 1 साल से फरार आरोपी और उसके सहयोगी मौसेरे भाई को पकड़ा है। आरोपी फर्जीवाड़े से 10 साल में 2 भर्ती परीक्षाएं खुद पास कर चुका था। पहले मेवात गैंग के साथ मिलकर फर्जी डिग्रियां बांटता इसके बाद खुद का नेटवर्क बना कर काम शुरू किया।
इससे नाराज होकर मेवात गैंग के ही सदस्य ने पुलिस को इसका नाम बताया था। पुलिस ने बचने के लिए आरोपी मकान के छज्जे पर सोता था। ताकि पुलिस आए तो यह आसानी से खेतों में भाग कर फरार हो सके। इसकी तलाश के दौरान पुलिस ने ग्रामीणों की चर्चा में बड़े अपराधी के गांव में छिपे होने की बात सुनी थी।
जोधपुर रेंज आईजी ने बताया- फर्जी डिग्री बांटने और पेपर लीक मामले में दीपक विश्नोई (34) पुत्र बाबूलाल निवासी विष्णु नगर लूणी और उसके मौसेरे भाई मनोहर बिश्नोई (22) पुत्र पुनाराम निवासी चंपा की ढाणी ग्राम डूंगरपुर रोहट जिला पाली को गिरफ्तार किया गया है। दीपक पर 25 हजार का इनाम रखा गया था। यह फर्जीवाड़े से 8 साल जेल प्रहरी और कुछ महीने पीटीआई के पद पर भी तैनात रहा। मेवात गैंग से पेपर लीक मामले में पूछताछ के दौरान इसका नाम सामने आया था। इस दौरान टीम को जोधपुर के पास रामड़ावास गांव में ग्रामीणों से बड़े अपराधी के छिपे होने का इनपुट मिला था।
ग्रामीण के मुंह से सुना था- पुलिस उसे पकड़ नहीं सकती
आईजी विकास कुमार ने बताया- तलाश के दौरान टीम ने ग्रामीण से सुना कि गांव में एक ऐसा अपराधी छिपा है जिसे पुलिस गांव में घुस कर नहीं पकड़ सकती। पुलिस में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह गांव में जाकर उसे गिरफ्तार कर सके। इसी इनपुट के आधार पर मंगलवार सुबह चिन्हित मकान में दबिश दी तो पता चला कि यह 25 हजार का इनामी दीपक है।
मकान के छज्जे पर सोता था –
आईजी विकास कुमार ने बताया कि आरोपी को जब पुलिस ने पकड़ा तब वह छज्जे के पास सो रहा था। उसे लगता था कि पुलिस कभी भी उसे पकड़ने आ सकती है। ऐसे में छज्जे से कूद कर वह खेतों के रास्ते फरार हो जाएगा। आईजी ने कहा- 2 दिन पहले जोधपुर रेंज की पुलिस ने साल 2021 की रीट भर्ती परीक्षा घोटाले को लेकर इमरती बिश्नोई को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से ही आरोपी दीपक को यह डर लगने लगा था कि पुलिस अब उस तक भी पहुंच सकती है। ऐसे में वह यहां आकर छिपा था।
आईजी ने बताया- दीपक के लिए उसके बैंक अकाउंट और लेनदेन का काम उसका मौसेरा भाई मनोहर बिश्नोई करता था। उसे भी पाली जिले के रोहट के डूंगरपुर गांव से पकड़ा। वह भी पुलिस से डरकर अपनी बुआ के यहां छिपा हुआ था। जेल प्रहरी बना फिर PTI भी आईजी ने बताया- दीपक बिश्नोई साल 2014 में JEN भर्ती पेपर लीक मामले में मास्टरमाइंड जगदीश जानी को डेढ़ लाख रुपए देकर ब्ल्यूटूथ के जरिए जेल प्रहरी की परीक्षा में बैठा था। इसके बाद से वह जेल प्रहरी के पद पर नौकरी कर रहा था।
उसने 9 साल तक उदयपुर कोटड़ा और राजसमंद में नौकरी की। जहां जेल में उसका संपर्क मेवात की पेपर लीक और फर्जी डिग्री बनाने वाली गैंग से हुआ। उसने मेवात गैंग के साथ मिलकर फर्जी डिग्रियां बांटने और भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक करने का काम एजेंट के तौर पर शुरू कर दिया। इस दौरान उसने वनरक्षक, AEN, CHO और पीटीआई परीक्षाओं में पेपर लीक भी किए हैं। प्रारम्भिक पूछताछ में सामने आया कि दीपक की पत्नी उस पर कार लेने का दबाव बनाती थी। ऐसे में उसने जेल प्रहरी की नौकरी के दौरान 2020 में PTI भर्ती का एग्जाम दिया। यहां भी दीपक ने मेवात गैंग के साथ मिलकर पेपर लीक किया था और उसी पेपर के जरिए एग्जाम पास किया।
इसके बाद 2023 में उसकी पाली जिले के गुड़ा एंदला में पीटीआई के पद पर नियुक्ति हो गई। यहां पर नौकरी करने के दौरान उसने उदयपुर की गैंग के साथ मिलकर बीटेक, बीएससी और बीपीएड की फर्जी डिग्रियां भी बांटी थी। एक डिग्री के करीब 2.5 से 3 लाख लेता था। जबकि भर्ती परीक्षाओं के पेपर के लिए 3 लाख रुपए अभ्यर्थियों से लेता था। डिग्री पकड़ी तो मेवात गैंग ने बताया था नाम पूछताछ में सामने आया कि दीपक ने 2014 के बाद जेल में मेवात गैंग के संपर्क में आने के बाद एजेंट के रूप में काम शुरू किया था।
लेकिन, उसका रुपयों को लेकर लालच बढ़ गया था। धीरे-धीरे उसने मेवात गैंग से अलग होकर खुद का अपना काम शुरू करने की ठानी। वह अभ्यर्थियों से अब डायरेक्ट डील करने लगा था। इसके लिए उदयपुर के पेपर लीक माफियाओं से हाथ मिलाया। इस दौरान उसने एक अभ्यर्थी को फर्जी डिग्री दी थी। यह डिग्री वेरिफिकेशन के दौरान पकड़ी गई। ऐसे में अभ्यर्थी ने मेवात गैंग से संपर्क कर इसकी पूरी जानकारी दी।
इसके बाद मेवात गैंग के आरोपियों ने पूछताछ में इसका नाम भी लिया। साल 2024 में ही इसका एक दलाल भी पकड़ा गया जिसने फर्जी डिग्री के मामले में दीपक का नाम लिया था। इसके बाद से वह SOG की राडार पर आ गया था। यह पुलिस को चकमा देने के लिए फोन का यूज नहीं लेता था। हर 2 से 4 दिन में जगह बदल लेता था। दीपक बिश्नोई के पिता सरकारी टीचर रह चुके हैं।