बडग़ांव। उपखंड क्षेत्र में बोरतड़ा पहाड़ी पर सोमवार को गुरू मेडक़ीनाथ का मेला भरा गया। हर साल भ्ररने वाले इस प्रसिद्ध मेले में गुरू मेडक़ीनाथ के दर्शनार्थ सवेरे से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए पहाड़ी की चोटी पर चढऩे शुरू हो गए थे।
दोपहर तक तो भीड़ इतनी बढ़ गई कि सीढिय़ों पर चलने के लिए जगह भी नहीं बची, वहीं मंदिर में गुरू के दर्शन को लेकर कतार में घंटों इंतजार करना पड़ रहा था।
मेले में आई महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर दर्शन के लिए पहाड़ी पर चढ़ती देखी गई। हालांकि मंदिर प्रबंधन की ओर से दर्शनार्थियों के लिए माकूल व्यवस्था की हुई थी। पहाड़ी की तलहटी में लगी अस्थाई दुकानों पर भी मेलार्थी खरीदारी करते रहे। पहाड़ी के चोटी पर मंदिर के पास स्थित धर्मशाला में सूरजकुण्ड मठ के मठाधीश महन्त लहरभारती महाराज प्रवचन दे रहे थे। शांति व्यवस्था को लेकर रानीवाड़ा थाना के पुलिस के जवान तैनात रहे।
पर्यटक स्थल से कम नहीं मेडक़ीनाथ धाम।
बडग़ांव बस स्टैंड से करीब ढाई किलोमीटर दूर तथा तीन हजार सीढिय़ों की चढ़ाई के बाद पहाड़ी पर सदियों पहले संत मेडक़ीनाथ ने पहाड़ी की एक संकरी गुफा में कई सालों तक तपस्या की थी। कालांतर में यह स्थान गुरू मेडक़ीनाथ धाम व मेडक़ीनाथ महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसके बाद करीब 40 साल पहले आबूराज के तपोनिष्ठ करणभारती महाराज इस धाम पर आए तथा धूणी लगा तपस्या की।
उनके ब्रह्रालीन होने के बाद सिरोही स्थित रेवानाथ अखाड़ा व सूरज कुण्ड मठ बडग़ांव के मठाधीश महन्त लहरभारती महाराज गादी नशीन हुए। उन्होने बताया कि जिस गुफा में गुरू मेडक़ीनाथ ने तपस्या की थी,वह स्थान काफी गहरा व संकरा था। दर्शन के लिए एक बार में एक व्यक्ति ही अंदर जा सकता था। करीब बीस वर्षो की तपस्या के दौरान महंत करणभारती महाराज ने गुफा स्थल सहित पुरे परिसर को चौड़ा करवाया। वहीं श्रद्धालुओं के रहने के लिए कमरों का निर्माण करवाने के साथ सुविधाओं का विस्तार किया। बिजली व पानी की व्यवस्था करने के साथ मंदिर का सौन्दर्यीकरण भी करवाया। बताया जा रहा है कि इससे पहले पहाड़ी का मार्ग दुर्गम था।
जिस पर कुछ सीढिय़ों का निर्माण करवाया। इसे सुगम बनाया गया। मंदिर में वड शिवलिंग व पार्वती की प्रतिमा के साथ पास ही घोड़े पर सवार गुरू मेडक़ीनाथ की प्रतिमा भी स्थापित है। एक तरफ अखंड दीप प्रज्जवलित है तो दुसरी ओर नाग देवता स्थापित है।