बड़गांव। राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैक की शाखा, जो आदर्श ग्राम पंचायत मुख्यालय बड़गांव पर स्थित है, उनके कार्मिकों के अनुचित व्यवहार के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसान ऋण के लिए फाइल लगाते हैं, लेकिन बैक के कार्मिक उन्हें बार-बार बैंक में आने के लिए कहते हैं, फिर भी ऋण प्रदान नहीं किया जाता है।
वगतापुरा निवासी किसान अदाराम कलबी ने दो महीने पहले ऋण के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें अब तक ऋण नहीं मिला है। जब वे बैंक में जाते हैं, तो शाखा प्रबंधक हर रोज नई-नई बहाने बनाते हैं और उन्हें खाली हाथ लौटने के लिए कहते हैं। इससे उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जब अदाराम ने अपनी ऋण फाइल वापिस मांगी, तो शाखा प्रबंधक ने उनसे 4,000 रुपये मांगे। शाखा प्रबंधक ने इसे इनकार करते हुए कहा कि अगर कोई उपभोक्ता अपनी ऋण फाइल वापिस लेता है, तो उसे बैंक चार्ज के रूप में 400 रुपये देने होंगे।
बड़गांव सहित आस-पास के 12 गांवों के उपभोक्ताओं के खाते इस बैंक में हैं। बड़गांव में एक ही बैंक होने के कारण, बैंक के कर्मचारियों की मनमानी चलती है। छोटे से लेकर बड़े काम के लिए, बैंक के कर्मचारी उपभोक्ताओं को बार-बार बैंक में आने के लिए कहते हैं।
केसीसी उपभोक्ता पहूंचते है बैक तो मेनेजर सेवानिवृत कार्मिक का देते है हवाला
राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैक में केसीसी ऋण लेना हो यह फिर पुराना केसीसी ऋण क्लीयर करवा कर नॉडयूज लेना हो इसके लिए शाखा प्रबंधक विनोद कुमार यादव सेवानिवृत कर्मचारी मंसाराम का हवाला देकर बोलते मंसाराम आए तब काम हो पाएगा। जबकि मंसाराम बैक से सेवानिवृत हो गए है। सेवानिवृत कर्मचारी मंसाराम बैक में मिलते नहीं है और न ही उपभोक्ताओं का काम समय पर होता है। इससे उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
एक दर्जन गांवों पर एक बैक
बडग़ांव कस्बे सहित करीब आस-पास के 12 गांावें के उपभोक्ताओं के खाते राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैक में है। बडग़ांव में एक मात्र बैक होने के कारण बैक कार्मिकों की भी मनमानी चलती है। बैक संबंधित छोटे से लेकर बड़े काम के लिए बैक के कार्मिक उपभोक्ताओं को चक्कर पे चक्कर लगवा रहे है।
ऋण के लिए दो महीने से चक्कर लगा रहा हूं
मैं राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैक शाखा बडग़ंव से केसीसी ऋण के लिए दो महीने से चक्कर लगा रहा हूं,लेकिन ऋण नहीं मिला,फिर मैने शुक्रवार को फाइल वापिस मांगी तो मेरे पास 4 हजार मांगे। – अदाराम कलबी किसान, वगतापुरा