बड़गाव। शीतला सप्तमी : कस्बे में भैरवनाथ पहाड़ी पर स्थित शीतला माता मंदिर पर सोमवार मेले का आयोजन होगा। मेले को लेकर तैयारीयां जोरों पर चल रही है। सुरेश कुमार जोशी ने बताया कि हर वर्ष की भांती इस वर्ष भी बड़गाव में शीतला माता मेला भरेगा। मेले को लेकर मंदिर परिसर को दुल्हन की तरह सजाया गया है।
शीतला सप्तमी पर क्या क्या होगा ?
शीतला माता मंदिर में बच्चों के स्वास्थ्य की कामना को लेकर शीतला माता के मंदिर में पानी से अभिषेक होगा, साथ ही नमक चढ़ाया जाएगा। घरों में एक दिन पहले कई तरह के पकवान तैयार किए गए, इस खाद्य सामग्री का भोग शीतला माता के लगाया जाएगा। घरों में नई मटकियां रखी जाएगी, इन पर गर्धभ की आकृति बनाकर पूजन किया जाएगा। महिलाएं बासी (ठंडा) भोजन करेंगी।
शीतला सप्तमी कब मनाई जाती है ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महिने की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन शीतला सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन को शीतला माता को बासोड़ा का भोग लगाया जाता है। शीतला माता ठंडक प्रदान करने वाली देवी है।
Sheetala Saptami 2024 शुभ मुहूर्त:
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 31 मार्च, 2024 को 09:30 PM
सप्तमी तिथि समाप्त: 1 अप्रैल, 2024 को 09:09 PM
शीतला माता की पूजा विधि 2024
- शीतला माता शीतलता प्रदान करने वाली देवी मानी गई हैं। इसलिए सूर्य का तेज बढ़ने से पहले इनकी पूजा उत्तम मानी जाती है।
- पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें।
- दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें।
- दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा भी रस दें।
- अब शीतला माता की पूजा करें।
- माता को सभी सामग्री अर्पित करने के बाद खुद और घर से सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं।
- आटे के दीपक को बिना जलाए माता को अर्पित करें।
- अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाकर उसे घर के सभी सदस्यों को आंखों पर लगाने को दें
- ठंडे भोजन का भोग लगाएं और आप भी इस ठंडा भोजन ही खाएं।
इस दिन क्या नहीं करना चाइये ?
- इस घर में चूल्ही नहीं जलाते हैं
- पुरे दिन माता को लगाया गया ठंडे भोजन को ही खाएं।
- पुजा करने के बाद घर में झाडू नहीं लगायें।
- शीतला माता की पूजा में अग्नि को किसी भी तरह से शामिल नहीं किया जाता है।
- माता शीतला की पूजा करते समय दीया, धूप या अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए।
शीतला सप्तमी का व्रत करने से शीतला माता प्रसन्न होती है।
माता को बासी खाने के प्रसाद का भोग लगाया जाता है। शीतला देवी को भोग लगाने वाले सभी भोजन को एक दिन पूर्व की बना लिया जाता है। दूसरे दिन शीतला माता को भोग लगाया जाता है। अगले दिन खाना नहीं बनाया जाता, सभी उसी खाने को ग्रहण करते हैं।